Friday, September 11, 2020

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RT @rajubharadwaj22: व्यक्ति का स्वभाव ही ऐसा है कि वह अपने सुख को सही रूप में आंक ही नही सकता;वह सिर्फ दूसरों को सुखी देखकर सोचता है कि वह मुझसे ज्यादा सुखी है और मुझे उसके जितना सुख क्यों नही मिला?वास्तव में यह एक वितृष्णा है और इसमें फंसा व्यक्ति सुख पाकर भी सुखी नही रह सकता है,तड़पता रहता है..❣️

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