Friday, December 5, 2014

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मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके उनके ईमान सरे-आम बिके एक मंडी है सियासत ऎसी जिसमें अल्लाह बिके राम बिके उनकी बातों का भरोसा कैसा जिनके मज़मून सुबह-शाम बिके कैसे इज़हार करूँ उल्फ़त के मेरे अरमान बिना दाम बिके . - :Atul!!

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