Tuesday, February 4, 2014

ज़िंदगी की कश्मकश..

यहाँ मज़दूर को मरने की जल्दी यूँ भी है; 
कि ज़िंदगी की कश्मकश में कफ़न महंगा ना हो जाए।

No comments:

Post a Comment